हमारा यह पूरा जीवन मात्र आदतों के प्रभाव और दबाव से चल रहा है| हम भोजन, स्नान, पढ़ना, सोना, जागना, दैनिक क्रियाएं करना आदि सब आदत से करते हैं…|
कोई भी शुभ कार्य हम आदत वश करें तो अच्छा ही है पर किसी भी अशुभ कार्य करने से अनेक समस्याएं आती हैं|
दो कारणों से हम अपनी आदतों को नहीं छोड़ते हैं – हमारा मन उस कार्य को करते रहने से इतना उस सॉंचे में ढल चुका है कि वहॉं से उसे हटाना कठिन लगता है और दूसरा उस काम की व्यर्थता का बोध नहीं हो पाता|
जिसका मनोबल और आत्मबल मजबूत है वह आदतों की जाल से छूट जाता है|
आदत बुरी सुधार ले बस हो गया भजन|
मन की तरंग मोड़ ले बस हो गया भजन॥
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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