अब तु ले चलो उस पार| अपने से तो यह न हो सकेगा| यह भवसागर बड़ा है| दूसरा किनारा दिखाई भी नहीं पड़ता है|
हां, तुम्हारा प्रे का हाथ आ जाए तो मैं कहीं भी जाने को तैयार हूं| दूसरा किनारा न हो तो जाने को तैयार हूं| तुम्हारा हाथ काङ्गी है| तु बीच मझधार में डुबा दो तो राजी हूं, क्योंकि तुम्हारे हाथ से डूब जाऊं तो भी उबर जाऊँ|
संसारतारकविभो ! जीवनाधिनाथ !
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
Very Nice..