अगर कहा जाय कि सांसारिक सुख का आधा भाग दाम्पत्य सुख है और आधे में बाकि सब, तो यह अतिशयोक्ति न होगी| परन्तु जिस दाम्पत्य की इतनी महिमा है उसका ठीक उपयोग करने के लिये बड़ी चतुराई, विवेक, संयम और भाग्य की आवश्यकता है| थोड़ी-सी भी गलती दाम्पत्य के सब सुखों पर पानी फेर सकती है, जीवन को नरक बना देती है| ऐसे समय पर बड़ी सावधानी से रहना आवश्यक है|
जिस प्रकार दाम्पत्य की छोटी छोटी प्रेमभीनी बातें हृदय में गुदगुदी पैदा कर असीम आनंद से दिल को हराभरा कर देती है उसी प्रकार छोटी छोटी स्वार्थ या द्वेष भरी बातें जीवन के आनन्द को किरकिरा कर डालती हैं|
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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