अस्सिं लोए परत्थ य
अपने पर नियन्त्रण रखनेवाला ही इस लोक तथा परलोक में सुखी होता है
इस प्रश्न का उत्तर है – विवेक| सारी मनोवृत्तियॉं विवेक सम्राट के अंकुश में या साम्राज्य में आसानी से रह सकती हैं| विवेक का नियन्त्रण हटते ही प्राणी को वे मनोवृत्तियॉं नचाने लगती हैं और जीवन-भर वह नाचता ही रहता है| ऐसा व्यक्ति न इस लोक में सुखी रह सकता है और न परलोक में ही|
इसके विपरीत जिसकी मनोवृत्तियॉं विवेक के वश में रहती है अर्थात् जो प्रत्येक कार्य पूरी तरह सोच-समझ कर ही करता है, मन की लहर से नहीं – दिशा निश्चित होने पर ही जो मार्ग पर कदम बढ़ाता है – थोड़ी मात्रा में कोई वस्तु प्राप्त होने पर भी मन को सन्तुष्ट रखता है; ज्ञानी कहते हैं कि अपने आप पर नियन्त्रण रखने वाला ऐसा संयमी पुरुष इस लोक में भी सुखी होता है और परलोक में भी|
- उत्तराध्ययन सूत्र 1/15
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