अणुसासिओ न कुप्पिज्जा
अनुशासन से क्रुद्ध नहीं होना चाहिये
उनके इस कठोर व्यवहार के मूल में रही हुई उनकी हितैषिता उस को भूलकर जो उनपर क्रुद्ध होते हैं, वे अपने पॉंवों पर आप कुल्हाड़ी मारने वाले मूर्ख हैं| उन्हें सोचना चाहिये कि गुरुजनों को हमें दण्ड देने में कोई आनन्द नहीं आता| अनिच्छापूर्वक हमारी भलाई के ही लिए वे अनुशासनात्मक कठोर कार्यवाही करने का कष्ट उठाते हैं| कुछ समय के लिए अशान्ति का क्षोभ का – उग्रता का प्रदर्शन वे इसलिए करते हैं कि हमारा भविष्य उज्ज्वल हो सके| अतः हमें चाहिये कि अनुशासन पाकर भी इन गुरुजनों पर कभी क्रुद्ध न हों|
- उत्तराध्ययन सूत्र 1/6
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