सेणे जह वट्टयं हरे, एवं आउखयंमि तुट्टइ
एक ही झपाटे में जैसे बाज बटेर को मार डालता है, वैसे ही आयु क्षीण होने पर मृत्यु भी जीवन को हर लेती है
शिकारी पक्षी बाज (श्येन) जिस प्रकार एक ही झपट्टे में बटेर को मार डालता है, वैसे ही आयु का क्षय हो जाने पर काल (मृत्यु) भी जीवों पर टूट पड़ता है – उन्हें तत्काल जान से मार डालता है|
मृत्यु की इस अवश्यम्भाविता को जान कर साधक अपने साधना-पथ पर चलते हुए कभी प्रमाद नहीं कर सकता | जो व्यक्ति मरण का स्मरण रखता है, उसकी किसी भी पाप में रुचि नहीं रहती| वह जानता है कि क्षणिक सुख के लिए पाप क्यों किये जायें; जब कि आयु प्रतिक्षण घट रही है|
- सूत्रकृतांग सूत्र 1/2/1/2
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