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चार पुत्र

चार पुत्र

चत्तारि सुता-अतिजाते,
अणुजाते, अवजाते, कुलिंगाले

पुत्र चार प्रकार के होते हैं – अतिजात, अनुजात, अवजात और कुलांगार

कुछ पुत्र ऐसे होते हैं, जो गुणों में अपने पिताजी से भी आगे बढ़ जाते हैं, उन्हें ‘अतिजात सुत’ कहा जाता है|

दूसरी श्रेणी में वे पुत्र आते हैं, जो अपने पिता के गुणों का अनुसरण करके वैसे ही बन जाते हैं – न उनसे बड़े, न उनसे छोटे| जब तक पिता जीवित रहते हैं, लोग उन्हीं का नाम जानते हैं और उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र को जानने लगते हैं| ये ‘अनुजात सुत’ हैं|

तीसरी श्रेणी के पुत्र पिता के समस्त गुणों को नहीं अपना पाते | पिता से गुणों में हीन होने से ये ‘अवजात सुत’ कहलाते हैं|

चौथी श्रेणी के पुत्र दुर्व्यसनी होते हैं – दुर्गुणी होते हैं| पिता से उल्टे कार्य करके अपने पिता को भी कलंकित करते हैं – कुल की प्रतिष्ठा को आग लगा देते हैं; इसलिए उन्हें ‘कुलाङ्गार’ कहा जाता है| आप इनमें से किस श्रेणी के पुत्र हैं? सोचिये!

- स्थानांग सूत्र 4/1

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