चउव्विहे संजमे – मणसंजमे,
वइसंजमे, कायसंजमे, उवगरणसंजमे
वइसंजमे, कायसंजमे, उवगरणसंजमे
मनसंयम, वचनसंयम, शरीरसंयम और उपकरणसंयम – ये संयम के चार प्रकार हैं
मन बहुत चंचल है| वह विषयो की ओर आकर्षित होता रहता है| उसे वश में रखना और धर्मध्यान में लगाना मन का संयम है|
सोच-समझ कर नपे-तुले शब्दों में अपने विचार प्रकट करना, किसी की निन्दा न करना, अपशब्द या चुभने वाले कटु शब्द न बोलना आदि वचन का संयम है|
किसी के साथ हाथापाई या मारपीट न करना, सँभल कर चलना, रात में विहार न करना (जिससे कि पैरों के नीचे दब कर किसी प्राणी की हिंसा न हो जाये) यह शरीर का संयम है|
कम से कम वस्त्र, पात्र आदि उपकरण रखना उपकरण संयम है|
इस प्रकार मुनिजन मन संयम, वचन संयम, काय संयम और उपकरण संयम – इन चारों प्रकार के संयम का पालन करते रहते हैं|
- स्थानांग सूत्र 4/2
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