वेराणुबंधीणि महब्भयाणि
वाणी से बोले हुए दुष्ट और कठोर वचन जन्मजन्मान्तर के वैर और भय के कारण बन जाते हैं
बुरी बात अर्थात् निन्दावचन या गाली जिस प्रकार हमें नहीं सुहाती, वैसे ही दूसरों को भी नहीं सुहाती; इसलिए हमें किसी के प्रति दुर्वचनका प्रयोग नहीं करना चाहिये|
दुरुक्त कैसा होता है ? ज्ञानियों ने उसकी तीन विशेषताएँ बताई हैं, जो इस प्रकार हैं :-
1. दुरुक्त दुरुद्धर होता है| चुभा हुआ बाण शरीर से निकालना सरल है, परन्तु चुभा हुआ वचन हृदय से निकालना अत्यन्त कठिन है| शरीर का घाव धीरे-धीरे मिट जाता है; परन्तु वचन का घाव मिटाना दुस्साध्य है|
2. दुरुक्त वैरजनक होता है | किसी की निन्दा या बुराई करने से वह हमारा घोर शत्रु बन जाता है |
3. दुरुक्त महान भयोत्पादक होता है| जिसके प्रति दुर्वचनों का प्रयोग किया जाता है, वह कभी भी हमें संकटों में डाल सकता है|
- दशवैकालिक सूत्र 6/3/7
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