जे एगं नाम से बहुं नामे
जो एक अपने को नमा लेता है; वह बहुतों को नमा लेता है
घमण्ड का विरोधी गुण है विनय| जो विनीत है, सब उसका सन्मान करते हैं| विद्या का फल भी विनय है | विनय से पात्रता पैदा होती है और वह व्यक्ति सभी सद्गुणों का और सन्मान का पात्र बन जाता है| जो स्वयं झुकता है, वही एक दिन अपने सद्गुणों के कारण इतना महान पद प्राप्त कर लेता है कि सब उसके सामने झुकने लगते हैं|
इसीलिए ज्ञानियों का उपदेश है कि अन्य सद्गुणों की साधना करने से पहले विनय को अपनाओ – विनीत बनो| विनय से अन्य सद्गुणों की साधना सरल हो जाती है; क्योंकि सभी सद्गुणों का मूल है – विनय!
- आचारांग सूत्र 1/3/4
Thank You.