जन्म का प्रारम्भ तो सभी का एक जैसा होता है लेकिन अन्त एक जैसा नहीं होता| सुबह तो सभी की एक सी है पर शाम भिन्न-भिन्न है|
स्मरण रहे, जन्म जीवन नहीं है वह तो मात्र एक सुन्दर सा उपहार है….जीवन मिल गया तो सब मिल गया ऐसा मत समझो क्योंकि जीवन का उतना ही मूल्य है जितना हम उसमें धर्म करते हैं|
जीवन में जो भी श्रेष्ठ है, पाने योग्य है, उसे अर्जित करने के लिए श्रम करना होता है| इससे विपरीत जो व्यर्थ है, कचरा है वह बिना मेहनत किए ही इकट्ठा हो जाता है|
गुलाब के फूलों को खिलाने के लिए सृजनात्मक श्रम करना पड़ता है हालॉंकि घास-पात तो स्वयमेव उग आते हैं|
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
“The world is the great gymnasium where we come to make ourselves strong.”
In Hindi : विश्व एक व्यायामशाला है जहाँ हम स्वयंको मजबूत बनाने के लिए आते हैं.
~ Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद