क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
संत सनेही सुरीजन पाखे राखे न धीरज देही
क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
क्यारे मुने मिलश्ये
मूलडो थोडो भाई व्याजडो घणोरे
रातडी रमीने अहियांथी आविया ॥ए देशी॥
मूलडो थोडो भाई व्याजडो घणोरे,
केम करी दीधोरे जाय?
तलपद पूंजी में आपी सघलीरे,
तोहे व्याज पूरुं नवि थाय
अवधू! क्या मागुं गुनहीना
अवधू! क्या मागुं गुनहीना?
वे गुनगनन प्रवीना,
अवधू! क्या मागुं गुनहीना?
गाय न जानुं बजाय न जानुं न जानुं सुरभेवा,
रीझ न जानुं रीझाय न जानुं न जानुं पदसेवा.
अवधू ! आज सुहागन नारी
आज सुहागन नारी अवधू ! आज सुहागन नारी,
मेरे नाथ आप सुध लीनी कीनी निज अंगचारी.
मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर
मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर
मेरे घट ग्यान भानु भयो
भोर चेतन चकवा चेतना चकवी,
भागो विरह को सोर…
मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर.
दुलह नारी तुं बडी बावरी
दुलह नारी तुं बडी बावरी
पिया जागे तुं सोवे
पिया चतुर हम निपट अग्यानी
न जानु क्या होवे?
न जानु क्या होवे?
साधो भाई ! समता रंग रमीजे
साधो भाई ! समता रंग रमीजे,
अवधू ! ममता संग न कीजे,
साधो भाई ! समता रंग रमीजे.
संपत्ति नाहि नाहि ममता में रमता राम समेटे,
खाट पाट तजी लाख खटाउ अंत खाख में लेटे.
मेरी तुं मेरी तुं कांही डरेर
मेरी तुं मेरी तुं कांही डरेर, मेर
कहे चेतन समता सुनि आखर, और दैढ दिन जूठ लरेरी.