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दृढ संकल्प का चमत्कार

दृढ संकल्प का चमत्कार
आत्मा में अपार शक्ति और अतुल बल है| इसका विकास और उपयोग करना भी एक कला है| इसका साधन है इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प|

यदि आप विश्‍वविख्यात मानव, लोकप्रिय नेता, प्रकाण्ड विद्वान और श्रीमंत बनना चाहते हैं, तो अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प को ठोस बनाएं| वर्ष में आठ हजार, छ: सौ चालीस घण्टे होते हैं| Continue reading “दृढ संकल्प का चमत्कार” »

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आत्मा का स्वाभाविक धर्म – सम्यक्त्व

आत्मा का स्वाभाविक धर्म   सम्यक्त्व
सम्यक्त्व का अर्थ है, निर्मल दृष्टि, सच्ची श्रद्धा और सच्ची लगन| सम्यक्त्व ही मुक्ति-मार्ग की प्रथम सीढ़ी है| जब तक सम्यक्त्व नहीं है, तब तक समस्त ज्ञान और चारित्र मिथ्या है| जैसे अंक के बिना बिन्दुओं की लम्बी लकीर बना देने पर भी, उसका कोई अर्थ नहीं होता, उससे कोई संख्या तैयार नहीं होती, उसी प्रकार समकित के बिना ज्ञान और चारित्र का कोई उपयोग नहीं, वे शून्यवत् निष्फल है| अगर सम्यक्त्व रूपी अंक हो और उसके बाद ज्ञान और क्रिया (चारित्र) हो तो जैसे एक के अंक पर प्रत्येक शून्य से दस गुनी कीमत हो जाती है, वैसे ही ज्ञान और चारित्र-दान, शील, तप-जप आदि मोक्ष के साधक होते हैं| मुक्ति के लिये सम्यग्दर्शन की सर्वप्रथम अपेक्षा रहती है| Continue reading “आत्मा का स्वाभाविक धर्म – सम्यक्त्व” »

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अशिक्षित महिला सदा पति के हृदय में खटकती है

अशिक्षित महिला सदा पति के हृदय में खटकती है
मदनसेना ! पुरुष हृदय किसी बात से उतना अप्रसन्न, दु:खी नहीं होता, जितना कि अशिक्षित स्त्री के व्यवहार से| वह चाहता है कि स्त्री कपड़े-वस्त्र-अलंकार ठीक तरह से पहने| समय समय पर हंसना, बोलना जाने| घर की प्रत्येक वस्तु साफ-स्वच्छ सजा कर रखे| आवश्यक वस्तुओं को यथास्थान व्यवस्थित ढंग से रखे, ताकि समय पर इधर-उधर दौड़धूप न करना पड़े| झगड़ालू न हो| Continue reading “अशिक्षित महिला सदा पति के हृदय में खटकती है” »

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दाम्पत्य जीवन

दाम्पत्य जीवन
अगर कहा जाय कि सांसारिक सुख का आधा भाग दाम्पत्य सुख है और आधे में बाकि सब, तो यह अतिशयोक्ति न होगी| Continue reading “दाम्पत्य जीवन” »

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सदा हंसमुख रह कर मधुर बोलो

सदा हंसमुख रह कर मधुर बोलो
जीवन में सुखी होने का महत्त्वपूर्ण एक सरल उपाय है, सदा हँसमुख रहकर मधुर भाषण करना| मुस्कराहट एक जादू मोहिनी मंत्र है| सुन्दर वस्त्राभूषण की अपेक्षा हँसमुख सूरत विशेष आकर्षक है| हँसमुखी प्रसन्न महिला दूसरों का नहीं, स्वयं अपना ही भला करती है| इससे सदा मन हलका रहता है और स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं पड़ता| Continue reading “सदा हंसमुख रह कर मधुर बोलो” »

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आरंभ से बच्चों में संस्कार डालें

आरंभ से बच्चों में संस्कार डालें
1. शरीर और वस्त्रों की सफाई का पूरा ध्यान रखना|

2. भोजन से पहले और बाद में मुँह हाथ साफ करना|

3. पेट, दांतों, बालों तथा हाथों को सदा साफ रखना| Continue reading “आरंभ से बच्चों में संस्कार डालें” »

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64 कला

64 कला
व्यवहारिक ४४ कलाएँ -

1. ध्यान, प्राणायाम, आसन आदि की विधि
2. हाथी, घोड़ा, रथ आदि चलाना
3. मिट्टी और कांच के बर्तनों को साफ रखना
4. लकड़ी के सामान पर रंग-रोगन सफाई करना
5. धातु के बर्तनों को साफ करना और उन पर पालिश करना
6. चित्र बनाना
7. तालाब, बावड़ी, कमान आदि बनाना Continue reading “64 कला” »

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सम्राट प्रजापल के प्रश्न

सम्राट प्रजापल के प्रश्न
प्रश्‍न – बिना आग के कौन जलाती है ?
उत्तर – ईर्ष्या, तृष्णा, चिन्ता, कर्जदारी, नव-जवान कुंआरी लड़की, विधवा बहु-बेटी| Continue reading “सम्राट प्रजापल के प्रश्न” »

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मां की, बेटी को सीख

मां की, बेटी को सीख
रानी ने कहा, मदनसेना ! दाम्पत्य जीवन की दिव्यता-शोभा तभी है, जब कि पति-पत्नी सत्ता का मोह छोड़कर परस्पर सेवाभाव, त्यागवृत्ति को अपनाए| अब तुम पराये घर जा रही हो| ससुराल में देव, गुरु, धर्म, स्वधर्मी बन्धु, देवर जेठ नणंद-भोजाई, सास-ससुर, दीन-दु:खी, रोगी और अपने अड़ोस-पड़ोस की सेवा का सारा भार तुम्हारें पर है| इसे ठीक तरह से निभाना| Continue reading “मां की, बेटी को सीख” »

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दैनिक-चर्या का प्रभाव

दैनिक चर्या का प्रभाव
हम बच्चों को अपने अनुशासन में रखना चाहते हैं, तो हमें भी अपने दैनिक कार्यक्रम व्यवस्थित और यथा समय करना आवश्यक है| आपके नियमित आचरण से बच्चों को सुन्दर प्रेरणा मिलती है| Continue reading “दैनिक-चर्या का प्रभाव” »

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