तवेसु वा उत्तमं बंभचेरं
ब्रह्मचर्य तपों में उत्तम है
भूख, प्यास, शीत, उष्णता आदि बाईस परीषहों में भी सहिष्णुता की आवश्यकता होती है| इनमें स्त्री के लिए पुरुष और पुरुष के लिए स्त्री को भी एक परीषह माना गया है| स्त्री या पुरुष के प्रति वासनात्मक दृष्टि से मन को आकृष्ट न होने देना ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना है| जो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करता है; वह ब्रह्मचारी है – उत्तम तपस्वी है; क्यों कि ज्ञानियों ने ब्रह्मचर्य को भी उत्तम तप माना है!
- सूत्रकृतांग सूत्र 1/6/23
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