साधो भाई ! समता रंग रमीजे,
अवधू ! ममता संग न कीजे,
साधो भाई ! समता रंग रमीजे.
संपत्ति नाहि नाहि ममता में रमता राम समेटे,
खाट पाट तजी लाख खटाउ अंत खाख में लेटे.
…साधो.1
धन धरती में गाडे बौरे धूर आप मुख ल्यावे,
मूषक साप होयगो आखर, तातें अलच्छि कहावे.
…साधो.2
समता रतनाकर की जाइ अनुभव चंद सुभाइ,
कालकूट तजी भाव में श्रेणी आप अमृत ले आइ.
…साधो.3
लोचन चरण सहस चतुरानन, इन तें बहुत डराइ,
आनंदघन पुरुषोत्तम नायक हित करी कंठ लगाइ.
…साधो.4
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
No comments yet.
Leave a comment