मेरी तुं मेरी तुं कांही डरेर, मेर
कहे चेतन समता सुनि आखर, और दैढ दिन जूठ लरेरी.
…मेरी.१
एती तो हुं जानुं निहचे, रीचीचर न जरा उ जरेरी
जब अपनो पद आप संभारत, तब तेरेपर संग परेरी.
…मेरी.२
औसर पाइ अध्यात्मशैली, परमातम निजयोग घरेरी
शक्ति जगावे निरुपम रुपकी, आनन्दघन मिली केलि करेरी.
…मेरी.३
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
No comments yet.
Leave a comment