देखो एक अपूरव खेला,
आपही बाजी आपही बाजीगर
आप गुरु आप चेले
…देखो.१
लोक अलोक बिच आप बिराजित,
ज्ञानप्रकाश अकेला
बाजी छांड तहां चढ बैठे,
जिहां सिंधुका(सिद्धका) मेला.
…देखो.२
वाग्वाद खट नाद सुहमें,
किसके किसके बोला
पाहाणको भार कांही उठावत,
एक तारेका चोला.
…देखो.३
षट्पद पदके जोग सिरिखस,
क्यों कर गजपद तोला
आनन्दघन प्रभु आय मिलो तुम,
मिट जाय मनका झोला.
…देखो.४
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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