कर्तव्य पॉंचवॉं – चैत्यपरिपाटी
जब अन्य जीव अपना अस्तित्व बनाएँ रखने के लिए प्रयत्नशील हैं, तब मनुष्य अपने व्यक्तित्व को खिलाने-विकसित करने एवं सहेजने-संवरने के लिए दौड़ रहा है| सचमुच तो परमात्मारूप करुणासागरमें गंगाकी तरह घुलकर अस्तित्व और व्यक्तित्व दोनों को विलीन कर देना है| Continue reading “पर्युषण महापर्व – कर्तव्य पॉंचवॉं” »