एक गॉंव में एक आदमी रहता था| उसे लोग डिट्टा कहकर बुलाते थे| वह कुछ भी पढ़ा लिखा नहीं था, इसलिए बेकार था| Continue reading “डिट्टा का भाग्य” »
डिट्टा का भाग्य
अनमोल शिक्षा
पुष्प समान जीवन मिले
गुरुजनों का प्रदेश… अर्थात गुर्जर देश… पिया के घर जाती हुई एक नयी नवेली दुल्हन ने… गरवी गुजरात के राष्ट्रसंत श्री रविशंकर महाराज से चरण स्पर्श कर आशिष मॉंगा…| Continue reading “पुष्प समान जीवन मिले” »
जीव विचार – गाथा 6
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आनंद की साधना
समय का सदुपयोग
पर्युषण महापर्व – कर्तव्य पॉंचवॉं
कर्तव्य पॉंचवॉं – चैत्यपरिपाटी
जब अन्य जीव अपना अस्तित्व बनाएँ रखने के लिए प्रयत्नशील हैं, तब मनुष्य अपने व्यक्तित्व को खिलाने-विकसित करने एवं सहेजने-संवरने के लिए दौड़ रहा है| सचमुच तो परमात्मारूप करुणासागरमें गंगाकी तरह घुलकर अस्तित्व और व्यक्तित्व दोनों को विलीन कर देना है| Continue reading “पर्युषण महापर्व – कर्तव्य पॉंचवॉं” »
कमलश्री कुत्ती, बंदरी बनी
शिवभूति और वसुभूति दो भाई थे| शिवभूति की स्त्री कमलश्री अपने देवर वसुभूति के प्रति राग वाली बनी और उसने मोहवश अनुचित याचना की| भाभी के ऐसे अनुचित वचनों को सुनकर वसुभूति विचार करने लगा कि-‘‘ओह ! धिक्कार हो कामवासना को, जो ऐसी अनुचित याचना करवाती है| मुझे तो, किसी भी हालत में कामाधीन नहीं होना है|’’ इस प्रकार वैराग्य उत्पन्न होने पर उसने दीक्षा ग्रहण कर ली| यह बात कमलश्री तक पहुँची| राग के उदय से आर्तध्यान में रहती हुई वह मानसिक और वाचिक पाप की आलोचना लिए बिना ही शुनी (कुत्ती) के रूप में उत्पन्न हुई| Continue reading “कमलश्री कुत्ती, बंदरी बनी” »
ज्ञान की रोशनी
प्रायश्चित की ताकत
केन्सर की गॉंठ हो, फिर भी ऑपरेशन कीया जाए, तो मरीज़ अच्छा हो जाता है| परंतु जो एक छोटा-सा भी कॉंटा पॉंव में रह जाये, तो इंसान को मार डालता हैं| इसी प्रकार बड़े-बड़े पाप जीवन में हो गये हो, तो भी प्रायश्चित-आलोचना के प्रताप से जीव धवल हंस के पंख की तरह निर्मल बन सकता है| Continue reading “प्रायश्चित की ताकत” »