लोभपत्ते लोभी समावइज्जा मोसं वयणाए
लोभ का प्रसंग आने पर लोभी झूठ बोलने लगता है
कुछ लोग तो रिश्वत लेकर झूठी गवाही देने का धन्धा ही करते हैं| इन्हें पैसा परमेश्वर से भी अधिक प्यारा होता है| तभी तो वे पैसे के लिए परमेश्वर की सौगन्ध खाने, गीता या गंगाजल उठाने को तैयार हो जाते हैं|
लोभी व्यक्ति पर कभी विश्वास नहीं किया जा सकता| विश्वास तो सच्चे व्यक्ति पर ही किया जाता है| लोभी व्यक्ति तभी तक सच्चा रहता है, जब तक उसके सामने कोई प्रलोभन न हो| प्रलोभन सामने आते ही उसका मन पिघल जाता है – देव, गुरु, शास्त्र और तीर्थस्थल के प्रति रहनेवाली उसकी श्रद्धा समाप्त हो जाती है| वह इन सब की शपथ खाकर झूठ बोलने लगता है|
- आचारांग सूत्र 2/3/15/2
It is first updesh of Lord Mahavira which was ddliverd after keveleya gian .Achrang sutter is old Agam which presserved lord mahavir message