राग : एशके सामान सब एक दिन यहां रह जायेंगे
भाव : दुन्यवी चीजनी नश्वरता, आवता जन्मनी चिंता
मोहनो त्याग ने धर्मनो राग
मोह से तेरा कमाया, धन यहां रह जायगा;
प्रेमसे अति पुष्ट कीया, तन जलाया जायगा.
प्रभुभजनकी भावना बीन, परलोकमें क्या पायेगा
कुच्छ कमाइ यहां न कीनी, खाली हाथे जायेगा.
जन्म मानवका अपूरव, पाके कर जगका भला;
मत गळा घोटो किसीका, जीवन यह उड जायगा.
जूाठ छोडो चोरी छोडो, छोड दो परदारको;
माया ममताको तजो तब, मुक्त हो झट जायगा.
तन फना है धन फना है, तस्थर कोइ जगमें नहि;
प्राणप्यारा पुत्र दारा, सब यहां रह जायगा.
ज्ञान धर ले ध्यान धर ले, चरणमें कर ले रुचि;
चपल जगकी सबही बाजी, छिनकमें उड जायगा.
मात नहि है तात नहि है, सुत नहि तेरा सगा;
स्वार्थसे सब अपने होते, अन्तमें देते दगा.
मोहसे क्यों मर रहा है, ध्यानसे कर मन सफा;
तप करी लो जप करी लो, भजन कर ले लो नफा.
एकिला यहां पे तुं आया, एकिला ही जायगा;
क्यों बूरे तुं कर्म करता, नरकमें दु:ख पायगा.
वीरजिन उपदेश देते, जो यह दिलमें ठायगा;
आत्म कमले लब्धि लीला, जल्दी वो नर पायगा.
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