post icon

जनक सुता हुं नाम

Listen to जनक सुता हुं नाम

भाव : महासती सीतानो रावणने पडकार ने शील दृढता

जनक सुता हुं नाम धरावुं,
राम छे अंतर जामी;
पालव मारो मेलोने पापी,
कुळने लागे छे खामी.
अडशो मांजो, मांजो मांजो मांजो मांजो अडशो,
म्हारो नावलीयो दुहवाय,
मने संग केनो न सुहाय;
म्हारुं मन मांहेथी अकळाय.

…अ.१

मेरू महीधर ठाम तजे जो,
पत्थर पंकज उगे;
जो जळधि मर्यादा मूके,
पांगळो अंबर पूगे.

…अ.२

तो पण तुं सांभळ रे रावण,
निश्‍चय शील न खंडुं;
प्राण हमारा परलोक जाए,
तो पण सत्य न छंडुं.

…अ.३

कुण मणिधरनो मणि लेवाने,
हैडे घाले हाम;
सती संगाथे स्नेह करीने,
कहो कुण साधे काम.

…अ.४

परदारानो संग करीने,
आखर कोण उगरीयो;
ऊंडुं तो तुं जोने आलोची,
सही तुज दहाडो फरियो.

…अ.५

जनक सुता हुं जग सहु जाणे,
भामंडल छे भाइ;
दशरथ नंदन शिर छे स्वामी,
लक्ष्मण करशे लडाइ.

…अ.६

हुं धणीयाती पियुगुण राती,
हाथ छे माहरे छाती;
रहे अळगो तुज वयणे न चळुं,
कां कुळे वाह छे काती.

…अ.७

उदयरत्न कहे धन्य ए अबळा,
सीता जेहनुं नाम;
सतीयोमांहे शिरोमणि कहीये,
नित्य नित्य होजो प्रणाम.

…अ.८

यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
Did you like it? Share the knowledge:

Advertisement

No comments yet.

Leave a comment

Leave a Reply

Connect with Facebook

OR