रातडी रमीने अहियांथी आविया ॥ए देशी॥
मूलडो थोडो भाई व्याजडो घणोरे,
केम करी दीधोरे जाय?
तलपद पूंजी में आपी सघलीरे,
तोहे व्याज पूरुं नवि थाय
…मूलडो.१
व्यापार भागो जलवट थलवटें रे,
धीरे नहीं निसानी माय
व्याज छोडावी कोई खंदा(कांधा), परठवेरे,
तो मूल आपुं सम खाय.
…मूलडो.२
हाटडुं मांडुं रुडा माणक चोकमां रे,
साजनीयानुं मनडुं मनाय
आनन्दघन प्रभुशेठ शिरोमणि रे,
बांहडी झालजो रे आय.
…मूलडो.३
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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