दृशा दृश्यं प्रसाधयेत्
प्रत्येक तथ्य का अवलोकन करने के लिए जितनी भीतर में गहराई होगी उतना हर विषय को रोचक बनाया जा सकता है| सच्ची समझ हो तो एक ही चीज को अनेक पहलुओं से देखने की विधि को हासिल किया जा सकता है इसलिए कहते हैं…
किश्ती का रुख बदलो किनारे बदल जायेंगे॥
नज़र का जाबिया बदलो नज़ारे बदल जायेंगे॥
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
‘शुद्ध-बुद्ध-चैतन्यघन ,स्वयंज्योति सुखधाम ‘. नमन सहित,सुज्ञान मोदी.