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दृष्टि मूल्यवान है

दृष्टि मूल्यवान है

दृशा दृश्यं प्रसाधयेत्
इस संसार में हम प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक स्थिति से कुछ न कुछ सीख सकते हैं परन्तु इसके लिए हमें अपने भीतर सूक्ष्म दृष्टि पूर्वक देखने की क्षमता होनी चाहिए| भीतर की जैसी दृष्टि होगी वैसी ही बाहर में सृष्टि दिखाई देती है|

प्रत्येक तथ्य का अवलोकन करने के लिए जितनी भीतर में गहराई होगी उतना हर विषय को रोचक बनाया जा सकता है| सच्ची समझ हो तो एक ही चीज को अनेक पहलुओं से देखने की विधि को हासिल किया जा सकता है इसलिए कहते हैं…

किश्ती का रुख बदलो किनारे बदल जायेंगे॥
नज़र का जाबिया बदलो नज़ारे बदल जायेंगे॥

यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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1 Comment

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  1. Sugyan Modi
    मार्च 22, 2013 #

    ‘शुद्ध-बुद्ध-चैतन्यघन ,स्वयंज्योति सुखधाम ‘. नमन सहित,सुज्ञान मोदी.

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