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पीछे नहीं…आगे देखिए

पीछे नहीं...आगे देखिए
अतीत का महत्त्व है इससे इन्कार नहीं है| उसे यूँ ही भुलाकर नहीं रहा जा सकता… परन्तु कदम-कदम पर अतीत की दुहाई देना… उसी से चिपटे रहना स्वयं को खतरे में डालना है| अतीत की स्मृति भले ही रहे परन्तु दृष्टि तो भविष्य की ओर केन्द्रित रहनी चाहिए…| हम क्या थे इसकी अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण यह देखना है कि अब हमें क्या बनना है?

समय के साथ आगे चलना और देखना जरूरी है| पिछले समय से तो मात्र शिक्षा लेनी चाहिए… यदि मनुष्य का पीछे की ओर देखना जरूरी होता तो आँखें आगे की बजाय पीछे होती| कहा जाता है कि भूत के पैर पीछे की ओर उलटे होते हैं… अतः इस बात को याद रखकर आगे बढ़ना|

यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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2 Comments

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  1. Ramveer
    अक्तू॰ 11, 2013 #

    Good

  2. Toral shah
    अग॰ 8, 2015 #

    Very true

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