मदनसेना ! पुरुष हृदय किसी बात से उतना अप्रसन्न, दु:खी नहीं होता, जितना कि अशिक्षित स्त्री के व्यवहार से| वह चाहता है कि स्त्री कपड़े-वस्त्र-अलंकार ठीक तरह से पहने| समय समय पर हंसना, बोलना जाने| घर की प्रत्येक वस्तु साफ-स्वच्छ सजा कर रखे| आवश्यक वस्तुओं को यथास्थान व्यवस्थित ढंग से रखे, ताकि समय पर इधर-उधर दौड़धूप न करना पड़े| झगड़ालू न हो| गुणानुरागिणी, मिलनसार हो| जो लड़की इसे नहीं जानती, इस प्रकार आचरण नहीं करती, वह अपने परिवार के लोगों से सदा अपमानित हो, अपने पति के हृदय में खटकती है|
प्रत्यक्ष उदाहरण
देखो ! अपने यहॉं एक कामदार है, वे अपनी पत्नी का नाम सुनते ही नाक-भौं सिकोड़ता है| पत्नी को अधिक समय पीहर में ही बिताना पड़ता है| जब कभी भी उसकी स्त्री घर पर आती है, तो परिवार में उसकी गिनती नहीं| कामदार उसका फूहड़पन देख, उससे आँख बचा, इधर-उधर खिसक जाता है| वास्तव में वह स्वस्थ और परिश्रमी न हो, ऐसी कोई बात नहीं| वह अच्छी कुलीन, भली और पतिव्रता है, किन्तु कामदार को घृणा है, उसके फूहड़पन से|
कामदार कहता है कि पत्नी के रहते घर कबाड़खाना मालूम होता है| शयनगृह में झूठे लोटे तासलियॉं रखीं हैं, तो भोजनालय में लहंगा लटक रहा है| कहीं पुस्तकें बिखरीं पड़ी हैं, तो कहीं मैले कुचेले वस्त्रों पर मक्खियॉं भिन-भिना रही हैं| अच्छे सुन्दर वस्त्रों की पेटियॉं भरी पड़ी हैं, फिर भी फटे पुराने गन्दे वस्त्र पहिन, वह इधर-उधर डोलती-फिरती है| चूले पर दाल चढ़ा, हल्दी, हींग मसाले के लिये नौकर को दौड़ाया| शौच जाने के कपड़ों से ही साग छमकाने जा बैठी| सिर में तैल नहीं| बालों की लटें इधर-उधर लटक रही हैं, रोटी साग में देखो तो बाल ही बाल| ललाट में सौभाग्य बिन्दी नहीं| कभी बच्चों को डांटा तो कभी नौकर-चाकरों से तू तू-मैं मैं| किसी को पहने ओढ़े पढ़ा-लिखा देखा तो मुंह बांका-टेढ़ा करना, पॉंव पर पॉंव रखकर बैठना, नाखून से मिट्टी खोदना, दॉंतों से नाखून काटना, मुँह में अंगुली डालना, आंखे मटकाना, जरा जरा सी बातों में घर सिर पर उठाते देर नहीं|
मदनसेना ! आज समाज में कामदार की बहु के समान अनेक फूहड़ अशिक्षित स्त्रियॉं है| वे नहीं जानतीं कि शिष्टाचार किसे कहते हैं| चलना-फिरना, वार्तालाप करना, सीना पिरोना, भोजन बनाना, गृह प्रबंध की कला है| इस कला से अनजान लड़की या स्त्री कभी अपने जीवन में सफलता नहीं प्राप्त कर सकती है| ‘सुखी जीवन का महत्त्वपूर्ण उपाय है, सद्ग्रंथों का अध्ययन, मनन और चिंतन करना’|
No comments yet.
Leave a comment