1. मृदु स्वभाव, सदा हँस कर बोलो|
2. माता-पिता, भाई-बहन, सास-ससुर, ननद-जेठानी आदि परिवार से प्रेम रखो|
3. परिश्रमी स्वभाव, कभी बेकार न रहना|
4. बड़ों की सेवा, उनका आदर, छोटों के प्रति स्नेह रखना|
5. प्रत्येक काम को समय पर और अच्छे ढंग से करना|
6. घर और वस्त्रों को साफ-सुथरे और व्यवस्थित रखना|
7. अपने स्वास्थ्य और सौन्दर्य का ध्यान रखना|
8. भोजन बनाने, और गृह-प्रबंध की कला का ज्ञान रखना|
9. सहनशीलता और संयम रखना|
10. अपने आप को देखो| दूसरों की निंदा न करो|
11. पति-देव पर पूर्ण विश्वास रख, सदा उनकी आज्ञाओं का पालन करो|
12. भर्तार बाहर से आवे, तो उनका उठकर मुस्कराते हुए स्वागत करो|
13. पति यदि अधिक खर्च करते हों, या उनकी भूल हो, तो वह किसी दूसरे के सामने प्रकट न कर, उन्हें एकांत में बड़ी शांति और नम्रता से समझाओ|
14. पति के सोने के बाद सोओ और उनसे पहले जागो| सोते समय उनकी पग-चंपी, सेवा शुश्रूषा करो|
15. यंत्र-मंत्र वशीकरणादि के चक्कर में न पडो| इसे पति व परिवार का वश होना तो दूर रहा, किन्तु भेद खुलने पर विश्वास उठ जाता है|
16. अपनी सास या परिवार के वृद्धजनों के बिना पूछे, या उनके मना करने पर कोई काम न करो| रोज सास-जेठानी या परिवार की वृद्ध महिला की पगचंपी करो|
17. पति विदेश में हो, उस समय भूमि-शयन करना, सामान्य आभूषण पहनना| यथाशक्ति तप करना| बाजार से कोई वस्तु मंगवाना हो, या अपने पति से कोई सामान मंगवाना हो तो वह चुपचाप सीधा अपने पास न मंगवाकर, उसे अपनी सास या वड़ीलों से मंगवाकर उपयोग में लेना|
मदनसेना ! उपरोक्त शब्दों को अच्छे बड़े अक्षरों में लिख, अपने भवन में लटका देना, उनका बार बार मनन-चिंतन कर उसी प्रकार आचरण करोगी तो तुम सुखी रहोगी|
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