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रात्रि जागरण – साल का सातवा कर्तव्य

रात्रि जागरण   साल का सातवा कर्तव्य
जब कल्पसूत्र, प्रभुका पारणा इत्यादि घर पर लाते हैं, तब घर भी मानो मंदिर बन जाता है| उस समय प्रभुके मंगलगीत, भावना इत्यादिद्वारा रात्रि जागरण करना वह श्रावक का कर्तव्य है| व्यापार-धंधा, ढ.त. इत्यादि के लिए रात्रि में एक-दो बजे तक जागनेवाले प्रायः रोज रात को अधर्म जागरण करते हैं क्योंकि सतत अशुभ भावोमें रहते हैं| श्रुतभक्ति और प्रभुभक्ति के शुभाशयसे जो रात्रिजागरण किया जाता है, वह धर्मजागरिका है| घर पर संघकी पावन पधरावनी वह एक विशिष्ट लाभ है| उस समय प्रभुमहिमा संबंधी, धर्म संबंधी, ज्ञान संबंधी धवल मंगल गीते गाना इत्यादि आत्महितकर कार्यक्रम करने चाहिये| घर पर पधारे हुए संघसभ्यों का बहुमान करना चाहिये|

उस समय चाय, पानी-नास्ता आदि रखने में महापाप है| सामान्य से भी रात्रिभोजन महापाप| उसमें भी पर्युषण जैसे पर्वके दिनोंमें रात्रिभोजन तो अति महापाप| उसमें भी घरमें कल्पसूत्र – परमात्मा को घर में लाये उस निमित्त से प्रभुकी आज्ञा का भंग करके रात्रिभोजन कराना वह अति अति महापाप और उसमें भी जाहिर में सभीको उसमें शामिल करना वह तो अति-अति-अति महापाप है|

रात्रि जागरण   साल का सातवा कर्तव्य
पिताजी के जन्मदिन पर सबको आमंत्रित करके पुत्र पिताजी को सोटी से पीटे या फिर जुतोंका हार पहेनाये, तो वह जन्मदिन मनाना नहीं, शरमाना है| इसी तरह रात्रिजागरण के निमित्त से ऐसे कार्य करने से वह अधर्मजागरिका बन जाती है और वह भी भगवान घरमें पधारे उस प्रसंग पर ! उसी तरह युवा लड़के-लड़की रात्रिजागरण को नवरात्री के गरबे की तरह मनायें वह भी कलंकरूप और अशोभनीय है| इतना विवेक रखना आवश्यक है|

यदि हार्टके रोगी को डॉक्टरने सीढ़ी चढ़ने के लिए मना कर दिया हो और रोगी पाईप पर चढ़के उपर जाने की चेष्टा करे, वह… या फिर ‘‘धुआँ दिखाई दे वहॉं पर आग की संभावना होने से तुरंत पानी से बुझाना चाहिए’’ सेठ की यह बात पकडकर सिगरेट से धुँए निकालते सेठ पर ही नौकर बाल्टी भर पानी डाल दे, वह…. या फिर सब काम एक साथ ही निपटाने की सेठानी की सलाह की मनमें गॉंठ बांधनेवाले नौकर को जब सेठके बीमार पड़ने पर डॉक्टर बुलाने भेजा तब साथ-ही-साथ अरथी का सामान ले आये तथा सगे संबंधियो को मृत्यु का समाचार भी दे आयें, वह….. या फिर मांगने वाले सभी याचकों को समान मानकर रुपये देनेकी पिता की सिखावन के आधार पर पुत्र भिखारी को, अनुकंपा के कार्य करनेवाली संस्था को और अड़सठ तीरथ की यात्रा पर निकले पिता को समान मानकर मात्र एक-एक रुपया थमा दे, वह….. ऐसे सभी व्यवहार करनेवाले मूर्ख गिने जाते हो तो धर्म-जागरिका की बात को पकड़कर रात्रि-भोजनादि करनेवाला महामूर्ख है|

यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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