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अवधू! क्या मागुं गुनहीना

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अवधू! क्या मागुं गुनहीना?
वे गुनगनन प्रवीना,
अवधू! क्या मागुं गुनहीना?
गाय न जानुं बजाय न जानुं न जानुं सुरभेवा,
रीझ न जानुं रीझाय न जानुं न जानुं पदसेवा.

…क्या.१

वेद न जानुं किताब न जानुं जानुं न लक्षण छंदा,
तरकवाद विवाद न जानुं न जानुं कविफंदा.

…क्या.२

जाप न जानुं जुवाब न जानुं न जानुं कथवाता,
भाव न जानुं भगती न जानुं जानुं न सीरा ताता?

…क्या.३

ग्यान न जानुं विग्यान न जानुं, न जानुं भजनामा,
आनंदघन प्रभु के घरद्वारे रटन करुं गुणधामा.

…क्या.४

यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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