आज सुहागन नारी अवधू ! आज सुहागन नारी,
मेरे नाथ आप सुध लीनी कीनी निज अंगचारी.
…सुहा.१
प्रेम प्रतीत राग रुचि रंगत पहिरे जीनी सारी,
महिंदी भक्ति रंग की राची भाव अंजन सुखकारी.
…सुहा.२
सहज सुभाव चूरी मैं पेनी थिरता कंकन भारी,
ध्यान उरवशी उर में राखी पिय गुनमाल आधारी.
…सुहा.३
सुरत सिंदूर मांग रंग राती निरते वेनी समारी,,.
उपजी ज्योत उद्योत घट त्रिभुवन आरसी केवल कारी.
…सुहा.४
उपजी धुनी अजपा की अनहद जित नगारे वारी,
झडी सदा आनंदघन बरसत वन मोर एकनतारी.
…सुहा.५
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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