(चार्तुास) वर्षा ऋतु में घर के कम्पाऊंड में, पुरानी दीवारों पर अथवा मकान की छत (अगासी) पर हरी, काली, कत्थई आदि रंगों की काई (सेवाल-लील) जम जाती है| उसी को निगोद कहते हैं| आलु वगैरह कंदमूल के जैसे ही निगोद भी अनंतकाय है| उसके एक सूक्ष्म कण में भी अनंत जीव होते हैं| उसके ऊपर चलने से, सहारा लेकर बैठने से, उस पर वाहन चलाने से अथवा इस पर कोई वस्तु रखने से या पानी डालने से निगोद के अनंत जीवों की हिंसा होती है|
आलु (बटाटा) आदि अनंतकाय हैं| जब उन्हें दातों तले चबाना महापाप है, तो अनंतकाय ऐसी निगोद को हम पैरों के नीचे कैसे कुचल सकते हैं?
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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