निर्मुक्तसफनिकरं परमात्मतत्त्वम्
अतः यह सब उपकार परमात्मा का ही मानना चाहिये न? अतः इन परमात्मा के अगणित उपकारों के कारण भी तु प्रतिदिन मन्दिर में जाकर परमात्मा की मूर्ति के दर्शन-पूजन करो| परमात्मा की मूर्ति को देखकर सत्कार्य करने की प्रेरणा लो| परमात्मा कितने पवित्र हैं और मैं कैसा दुर्गुणों से अपवित्र हूँ ऐसा विचार करना|
हे प्रभो ! मैं आप जैसा शुद्ध, बुद्ध, मुक्त, निरंजन, निराकार कब बनूंगा ? ऐसी प्रार्थना प्रतिदिन करना| उत्तम सुगंधित पुष्पों से, चन्दन से, धूप से प्रतिदिन परमात्मा का पूजन करना| सारे विश्व का कल्याण करने वाले भगवान में पूर्ण श्रद्धा रखना| प्रतिदिन भगवान के साथ का जाप करना और उनके बताये मार्ग पर चलने की भावना रखना| जो सर्वथा दोषमुक्त हो, वह परमात्मा है|
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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