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बात लम्बी न करें

बात लम्बी न करें

निरुद्धगं वा वि न दीहइज्जा

थोड़े में कही जानेवाली बात को व्यर्थ ही लम्बी न करें

बुद्धिमान लोग सदा अपनी बात को नपे-तुले शब्दों में प्रस्तुत करते हैं| वे आवश्यक वाणी का ही प्रयोग करते हैं| वाणी का अनावश्यक विस्तार करके अपना और दूसरों का बहुमूल्य समय नष्ट करना वे उचित नहीं समझते|

किसी फ्रान्सीसी दार्शनिक ने कहा था कि मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं संक्षेप में लिख सकूँ; इसलिए विस्तारपूर्वक लिखता हूँ|

इस विचित्र कथन द्वारा उसने जिस तथ्य पर प्रकाश डाला है, वह यह है कि विस्तारपूर्वक अपनी बात कहने की अपेक्षा संक्षेप में अपनी बात कहना अधिक कठिन है|

ज्ञानियों की यही कसौटी है कि वे कितने कम शब्दों में अपनी बात कह पाते हैं| अल्पज्ञानी ही बढ़-बढ़ कर बातें किया करते हैं, विशेष ज्ञानी नहीं| वे सदा सीमित शब्दों में हितकर विचार प्रकट करने का स्वभाव ही बना लेते हैं|

नये साधकों को परमार्श देते हुए वे कहते हैं कि संक्षेप में कही जा सकनेवाली बात लम्ब न करें|

- सूत्रकृतांग सूत्र 1/14/23

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