राइणियस्स भासमाणस्स वा
वियागरेमाणस्स वा नो अन्तरा भासं भासिज्ज
वियागरेमाणस्स वा नो अन्तरा भासं भासिज्ज
अपने से बड़े गुरुजन (रत्नाधिक) जब बोलते हों – व्याख्यान करते हों, तब उनके बीच में नहीं बोलना चाहिये
सभ्यता का यह नियम है कि सामनेवाला व्यक्ति अपनी बात जब तक पूरी न कर ले तब तक हम मौन रहें| उसकी बात सुनते रहें और फिर अपना उत्तर दें या मुँह खोलें| गुरुजनों के विनय में सभ्यता के इस नियम का अधिक सावधानी से पालन करना चाहिये|
बहुत-से लोगों को बीच-बीच में बोलकर बात काटने की बुरी आदत पड़ जाती है| समझदार व्यक्ति इस बुरी आदत से दूर रहते हैं| यदि ऐसी बुरी आदत पड़ जाये; तो उसे शीघ्र छोड़ने का परामर्श देते हुए कहा गया है कि ‘बोलते हुए ज्ञानियों के बीचमें न बोलें|’
- आचारांग सूत्र 2/3/3
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