निशदिन जोवुं वाटडी घर आवो रे ढोला,
मुज सरिखी तुज लाख हैमेरे तू ही ममोला.
…निशदिन.१
जौहरी मोल करे लाल का मेरा लाल अमोला,
जिसके पटंतर को नहि उसका क्या मोला?
…निशदिन.२
पंथ निहारत लोयणे टग लागी अडोला,
जोगी सुरति समाधि में मानुं ध्यान झकोला.
…निशदिन.३
कौन सुने? किन कुं कहुं? किसे मांडुं में खोला?,
तेरे मुख दीठे टले मेरे मन का झोला.
…निशदिन.४
मित्त विवेक कहैं हितु समता सुनि बोला,
आनंदघन प्रभु आवशे सेजडी रंग रोला.
…निशदिन.५
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
Excellent work.