आज्ञा तु निर्मलं चित्तं कर्त्तव्यं स्फटिकोपमम्
आखिरकार इस बच्चे के निरन्तर आनंद का क्या कारण है? उस व्यक्ति ने सोचा और अपना सवाल लेकर गौतम बुद्ध के पास गया, समाधान के लिए| भगवान बुद्ध ने कहा, ‘‘हर स्थिति में शिशु के हर्षित होने का सबसे बड़ा कारण है, उसका निर्मल पवित्र मन| इसलिए सभी वस्तुओं में समान रप से सौंदर्य का अनुभव कर वह अत्यधिक आनंदित होता है| अगर हम बड़े भी इस बात को समझ लें तो हम भी निर्मल पवित्र मन से आनंद साधना की पराकाष्ठा को प्राप्त हो सकते है|’’
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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