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देखण दे रे, सखी!

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श्री चंद्रप्रभ जिन स्तवन
राग : केदारो तथा गोडी – ‘‘कुमारी रोवे, आक्रंद करे, मु कोई मुकावे…’’ ए देशी

देखण दे रे, सखी!
मुने देखण दे, चंद्रप्रभ मुखचंद,
उपशमरसनो कंद, सखी.
गत कलि-मल-दु:खदंद..

…सखी.१

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मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर

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मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर
मेरे घट ग्यान भानु भयो
भोर चेतन चकवा चेतना चकवी,
भागो विरह को सोर…
मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर.

…१

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क्या सोवे उठ जाग बाउ रे

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क्या सोवे उठ जाग बाउ रे,
अंजलि जल ज्युं आयु घटत है
देत पहोरिया घरिय घाउ रे…
क्या सोवे उठ जाग बाउ रे

…१

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अरज सुनो प्रभु अनंत जिणंदा

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श्री अनंतनाथ जिन स्तवन
राग : कल्याणअरज सुनो प्रभु अनंत जिणंदा
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प्रीतम माहरो रे

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श्री ऋषभदेव जिन स्तवन
राग : मारु – ‘‘करम परीक्षा करण कुमार चाल्यो…’’ ए देशी

ऋषभ जिनेसर प्रीतम माहरो रे,
ओर न चाहुं रे कंत;
रीझ्यो साहिब संग न परिहरे रे,
भांगे सादि अनंत.

…ऋषभ.१

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मनमें ही वैरागी

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राग : पहेले दिन बहु आदर आणी आशावरी
भाव : संसारना सुख भोग वच्चे चक्रवतू भरत महाराजानी वैराग्य साधना

मनमें ही वैरागी, भरतजी;
मनमें ही वैरागी;
सहस बत्रीश मुगुट बंध राजा,
सेवा करे वड भागी.
चोसठ सहस अंतेउरी जाके,
तोही न हुवा अनुरागी.
भरत मनमें ही वैरागी.

…१

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दुलह नारी तुं बडी बावरी

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दुलह नारी तुं बडी बावरी
पिया जागे तुं सोवे
पिया चतुर हम निपट अग्यानी
न जानु क्या होवे?
न जानु क्या होवे?

…दुलह.१

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प्राणी सब चेतो

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राग : माढ. मेरे गमका तराना
भाव : परनारी त्याग ने पापत्यागनी प्रेरणा

प्राणी सब चेतो, बात लो ए तो,
दिल विषे उतार;
तुम आतम तारी, सुख करनारी,
बात हमारी दिल विषे उतार.
पाप न करना, दु:खसे डरना,
हरना विषय कषाय;
परनारीको मात समजकर,
उससे लो दिल हटाय रे.

…प्राणी.१

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