अनुभव नाथ कुं क्युं न जगावे?
आतम अनुभव फूल की, नवली कोउ रीत;
नाक न पकरे वासना, कान गहे परतीत ॥
अनुभव नाथ कुं क्युं न जगावे?
ममता संग सो पाय अजागल-थनतें दूध दुहावे
अनुभव नाथ कुं क्युं न जगावे
…१
अवधू! क्या सोवे तन मठमें
अवधू ! क्या सोवे तन मठमें?
जग आशा जंजीर की गति उलटी कुल मोर,
झकर्यो धावत जगतमें रहे छूटो इक ठोर ॥
अवधू ! क्या सोवे तन मठमें?
जाग विलोकन घटमें, Read the lyrics
साधो भाई ! समता रंग रमीजे
साधो भाई ! समता रंग रमीजे,
अवधू ! ममता संग न कीजे,
साधो भाई ! समता रंग रमीजे.
संपत्ति नाहि नाहि ममता में रमता राम समेटे,
खाट पाट तजी लाख खटाउ अंत खाख में लेटे.
…साधो.1
मेरी तुं मेरी तुं कांही डरेर
मेरी तुं मेरी तुं कांही डरेर, मेर
कहे चेतन समता सुनि आखर, और दैढ दिन जूठ लरेरी.
…मेरी.१
मेरे प्रान आनन्दघन
मेरे प्रान आनन्दघन तान आनन्दघन ॥ ए आंकणी॥
मात आनन्दघन, तात आनन्दघन
गात आनन्दघन, जात आनन्दघन
…मेरे.१
तेरी हुं तेरी हुं कहुं री
तेरी हुं तेरी हुं कहुं री,
इन बातमें दगो तुं जाने
तो करवत काशी जाय ग्रहुं री.
…तेरी.१