1 0 Tag Archives: जैन सिद्धांत
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फफूंदी/फूलन को पहचानो

फफूंदी/फूलन को पहचानो
बासी खाद्य पदार्थ आदि पर सफेद रंग की फुग दिखाई देती है| यह खास करके बारिश में विशेष होती है| मिठाई, खाखरा, पापड, वडी, अन्य खाद्य पदार्थ, दवाई की गोलियॉं, साबुन पर, चमड़े के पाकिट-पट्टे पर, पुस्तक के पुठ्ठे पर तथा अन्य वस्तु पर नमी के कारण रातोरात सफेद फुग जम जाती है| Continue reading “फफूंदी/फूलन को पहचानो” »

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सद्गुरु की शरण

सद्गुरु की शरण

सद्गुरुः शरणं मम
यह संसार जन्म, मरण, रोग, शोक, व्याधि और उपाधि के कारण महा दुःखमय है| ऐसे दुःखमय संसार में सार तो कुछ भी नहीं है और सुख भी कहीं नहीं है…| Continue reading “सद्गुरु की शरण” »

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अप्काय की रक्षा करें

अप्काय की रक्षा करें
निम्नलिखित विशेष सावधानियॉं बरतें :-

1. पानी का उपयोग कम से कम कीजिए, उसका घी के समान संभल-संभल कर उपयोग कीजिए|

2. स्नान, कपड़े धोने में, बाथरूम में, शौचालय में भी पानी को छानकर उपयोग में लाएँ|

3. नल को अनावश्यक खुला न छोडें|
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निगोद की रक्षा करें

निगोद की रक्षा करें
1. जो जगह अधिक समय तक गीली रहती हो, वहॉं निगोद की उत्पत्ति होती है| बाथरुम भी यदि सारा दिन गीला रहे तो उसमें भी निगोद की उत्पत्ति होती है| इसलिये घर का कोई भी स्थान अधिक समय तक भीगा न रहे इसकी सावधानी रखें| Continue reading “निगोद की रक्षा करें” »

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विवाद का मूल

विवाद का मूल
अपना दोष देखना अच्छा है और दूसरों के गुण देखना अच्छा है; किन्तु लोग इससे उल्टी बात करते हैं| वे अपने तो गुण ही गुण देखते हैं और दूसरों के दोष देखते हैं| इस प्रकार अपने गुणों पर नजर रखकर वे अभिमानी बन जाते हैं और दूसरों के दोषों पर नजर रखकर वे उनसे घृणा करने लगते हैं| Continue reading “विवाद का मूल” »

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ब्रह्मचर्य : वैज्ञानिक विश्‍लेषण

ब्रह्मचर्य यौन विचारों और इच्छाओं से पूर्ण स्वतंत्रता है| यह विचार, वचन और कर्म तथा सभी इंद्रियों का नियंत्रण है| सख्त संयम सिर्फ संभोग से नहीं बल्कि कामुक अभिव्यक्तियों से, हस्तमैथुन से, समलैंगिक कृत्यों से और सभी विकृत यौन व्यवहारों से होना चाहिए|
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कलावती की कलाईयों का छेदन किया गया

कलावती की कलाईयों का छेदन किया गया
कलावती रानी पूर्वभवमें तोते के दोनों पंख को काटकर खुश हई थी, उसकी आलोचना नहीं ली| उसके बाद क्रम से तोते का जीव राजा बना, उसकी रानी कलावती बनी| एक दिन अचानक रानी के हाथ में कंकण (हाथ के आभूषण) पहने हुए देखकर दासीने पूछा कि, ‘‘ये कहॉं से आये?’’ रानी ने जवाब दिया, ‘‘जो हमेशा मेरे मनमें रहता है और जिसके मन में सदा मैं रहती हूं, रात-दिन जिसे मैं भूला नहीं पाती, जिसको देखने से मेरे हर्ष का कोई पार नहीं होता, उसने ये भेजे हैं|’’ Continue reading “कलावती की कलाईयों का छेदन किया गया” »

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सच्चा साधक

सच्चा साधक

हमेशा दूसरों की अच्छाइयॉं देखो

गौतम बुद्ध का एक शिष्य जब दीक्षा ले चुका तो उनसे बोला, ‘‘प्रभु ! अब मैं निकट के प्रांत में धर्म-प्रचार के लिए जाने की आज्ञा चाहता हूँ|’’ गौतम बुद्ध ने कहा, ‘‘वहॉं के लोग क्रूर और दुर्जन हैं| वे तुम्हें गाली देंगे, तुम्हारी निंदा करेंगे तो तुम्हें कैसा लगेगा ?’’ शिष्य – ‘‘प्रभु, मैं समझूँगा कि वे बहुत ही सज्जन और भले हैं, क्योंकि वे मुझे थप्पड़-घूँसे नहीं मारते|’’ Continue reading “सच्चा साधक” »

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परमात्मा का उपकार न भूलो

परमात्मा का उपकार न भूलो

निर्मुक्तसफनिकरं परमात्मतत्त्वम्
तु जो सुख सुविधा भोगते हो वह इन परमात्मा की कृपा का ही फल समझना| परमात्मा ने हमें पुण्य का मार्ग बताया उससे हमने शुभ कर्म कर पुण्य का उपार्जन किया| शुभ कर्म के उदय से उत्तम मानव-जन्म, उत्तम कुल, पांच इन्द्रियां, विचारक मन, माता-पिता, घर, पैसा, आरोग्य, वस्त्र, भोजन के अतिरिक्त तारक देव-गुरु का योग आदि मिले| Continue reading “परमात्मा का उपकार न भूलो” »

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साधु-संतों का विनय करो

साधु संतों का विनय करो

नमो लोए सव्वसाहूणं
साधु-संतों को देखते ही हाथ जोड़कर नमस्कार करो| उनकी त्याग वैराग्यमयी पवित्र वाणी सुनो| Continue reading “साधु-संतों का विनय करो” »

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