केन्सर की गॉंठ हो, फिर भी ऑपरेशन कीया जाए, तो मरीज़ अच्छा हो जाता है| परंतु जो एक छोटा-सा भी कॉंटा पॉंव में रह जाये, तो इंसान को मार डालता हैं| इसी प्रकार बड़े-बड़े पाप जीवन में हो गये हो, तो भी प्रायश्चित-आलोचना के प्रताप से जीव धवल हंस के पंख की तरह निर्मल बन सकता है| Continue reading “प्रायश्चित की ताकत” »
प्रायश्चित की ताकत
अंजनासुन्दरी
एक राजा की दो पत्नियॉं थी| लक्ष्मीवती और कनकोदरी| लक्ष्मीवती रानी ने अरिहंत-परमात्मा की रत्नजड़ित मूर्त्ति बनवाकर अपने गृहचैत्य में उसकी स्थापना की| वह उसकी पूजा-भक्ति में सदा तल्लीन रहने लगी| उसकी भक्ति की सर्वत्र प्रशंसा होने लगी| ‘‘धन्य है रानी लक्ष्मीवती को, दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय|’’ यह रानी तो सुख में भी प्रभु सुमिरन करती हैंै, धन्य है !!’ Continue reading “अंजनासुन्दरी” »
जीवन का निर्माण
जन्म का प्रारम्भ तो सभी का एक जैसा होता है लेकिन अन्त एक जैसा नहीं होता| सुबह तो सभी की एक सी है पर शाम भिन्न-भिन्न है| Continue reading “जीवन का निर्माण” »
अपरिग्रह
जीव विचार – गाथा 7
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सब कुछ तुम्हारी पात्रता पर निर्भर है
अगर तुम्हारा पात्र भीतर से बिलकुल शुद्ध है, निर्मल है, निर्दोष है, तो जहर भी तुम्हारे पात्र में जाकर निर्मल और निर्दोष हो जाएगा| Continue reading “सब कुछ तुम्हारी पात्रता पर निर्भर है” »
चहक एक चिड़िया की
एक पेड़ पर चिड़िया अपनी मस्ती में चहक रही थी| उस पेड़ के नीचे एक भक्त विश्राम कर रहा था| चिड़िया की चहक सुनकर भक्त बोला, ‘‘अहा ! चिड़िया भी भगवान को याद कर रही है|’’ Continue reading “चहक एक चिड़िया की” »
नाम कर्म
किसी को रुपवान शरीर होता है,
किसी को कुरुप शरीर होता हैं, Continue reading “नाम कर्म” »
जयणा के उपकरण
1) गलना :- पानी छानने हेतु सुयोग्य कपड़ा|
2) सावरणी :- घर का कचरा निकालने के लिए मुलायम स्पर्शवाली सावरणी (झाडु या झाड़नी)|
3) पूंजनी :- खास प्रकार की सुकोमल घास से बनाई हुई मुलायम स्पर्शवाली छोटी पींछी| Continue reading “जयणा के उपकरण” »
कामलक्ष्मी और उनके पुत्र केवलज्ञानी बने
लक्ष्मीतिलक नगर में एक दरिद्र वेदसार नामक ब्राह्मण था| उसकी पत्नी का नाम कामलक्ष्मी था| वेदसार ब्राह्मण के वेदविचक्षण नाम का पुत्र था| प्रतिपक्षी राजा ने लक्ष्मीतिलक नगर पर आक्रमण कर दिया| कामलक्ष्मी पानी भरने के लिए नगर के बाहर गई थी| आक्रमण के कारण नगर के दरवाजे बन्द कर दिये| अतः कामलक्ष्मी बाहर ही रह गई| Continue reading “कामलक्ष्मी और उनके पुत्र केवलज्ञानी बने” »