1 0 Tag Archives: जैन सिद्धांत
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प्रायश्‍चित की ताकत

प्रायश्‍चित की ताकत
केन्सर की गॉंठ हो, फिर भी ऑपरेशन कीया जाए, तो मरीज़ अच्छा हो जाता है| परंतु जो एक छोटा-सा भी कॉंटा पॉंव में रह जाये, तो इंसान को मार डालता हैं| इसी प्रकार बड़े-बड़े पाप जीवन में हो गये हो, तो भी प्रायश्‍चित-आलोचना के प्रताप से जीव धवल हंस के पंख की तरह निर्मल बन सकता है| Continue reading “प्रायश्‍चित की ताकत” »

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अंजनासुन्दरी

अंजनासुन्दरी
एक राजा की दो पत्नियॉं थी| लक्ष्मीवती और कनकोदरी| लक्ष्मीवती रानी ने अरिहंत-परमात्मा की रत्नजड़ित मूर्त्ति बनवाकर अपने गृहचैत्य में उसकी स्थापना की| वह उसकी पूजा-भक्ति में सदा तल्लीन रहने लगी| उसकी भक्ति की सर्वत्र प्रशंसा होने लगी| ‘‘धन्य है रानी लक्ष्मीवती को, दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय|’’ यह रानी तो सुख में भी प्रभु सुमिरन करती हैंै, धन्य है !!’ Continue reading “अंजनासुन्दरी” »

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जीवन का निर्माण

जीवन का निर्माण
जन्म का प्रारम्भ तो सभी का एक जैसा होता है लेकिन अन्त एक जैसा नहीं होता| सुबह तो सभी की एक सी है पर शाम भिन्न-भिन्न है| Continue reading “जीवन का निर्माण” »

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अपरिग्रह

अपरिग्रह

मुच्छा परिग्गहो वुत्तो
किसी भी वस्तु के प्रति मूर्च्छा का भाव ही परिग्रह है| मूर्च्छा परिग्रह है| परिग्रह का अर्थ है संग्रह और अपरिग्रह का अर्थ है त्याग| किसी वस्तु का अनावश्यक संग्रह न करके उसका जन-कल्याण हेतु वितरण कर देना| परिग्रह मनुष्य को अहंकार एवं मोहरूपी अँधेरे के अथाह भंवर में डुबो देने वाला होता है| धन की परिग्रहवृत्ति काम, क्रोध, मान और लोभ की उद्भाविका है| Continue reading “अपरिग्रह” »

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जीव विचार – गाथा 7

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सब कुछ तुम्हारी पात्रता पर निर्भर है

सब कुछ तुम्हारी पात्रता पर निर्भर है
अगर तुम्हारा पात्र भीतर से बिलकुल शुद्ध है, निर्मल है, निर्दोष है, तो जहर भी तुम्हारे पात्र में जाकर निर्मल और निर्दोष हो जाएगा| Continue reading “सब कुछ तुम्हारी पात्रता पर निर्भर है” »

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चहक एक चिड़िया की

चहक एक चिड़िया की
एक पेड़ पर चिड़िया अपनी मस्ती में चहक रही थी| उस पेड़ के नीचे एक भक्त विश्राम कर रहा था| चिड़िया की चहक सुनकर भक्त बोला, ‘‘अहा ! चिड़िया भी भगवान को याद कर रही है|’’ Continue reading “चहक एक चिड़िया की” »

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नाम कर्म

नाम कर्म
किसी को रुपवान शरीर होता है,
किसी को कुरुप शरीर होता हैं, Continue reading “नाम कर्म” »

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जयणा के उपकरण

जयणा के उपकरण
1) गलना :- पानी छानने हेतु सुयोग्य कपड़ा|

2) सावरणी :- घर का कचरा निकालने के लिए मुलायम स्पर्शवाली सावरणी (झाडु या झाड़नी)|

3) पूंजनी :- खास प्रकार की सुकोमल घास से बनाई हुई मुलायम स्पर्शवाली छोटी पींछी| Continue reading “जयणा के उपकरण” »

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कामलक्ष्मी और उनके पुत्र केवलज्ञानी बने

कामलक्ष्मी और उनके पुत्र केवलज्ञानी बने
लक्ष्मीतिलक नगर में एक दरिद्र वेदसार नामक ब्राह्मण था| उसकी पत्नी का नाम कामलक्ष्मी था| वेदसार ब्राह्मण के वेदविचक्षण नाम का पुत्र था| प्रतिपक्षी राजा ने लक्ष्मीतिलक नगर पर आक्रमण कर दिया| कामलक्ष्मी पानी भरने के लिए नगर के बाहर गई थी| आक्रमण के कारण नगर के दरवाजे बन्द कर दिये| अतः कामलक्ष्मी बाहर ही रह गई| Continue reading “कामलक्ष्मी और उनके पुत्र केवलज्ञानी बने” »

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