1 0 Tag Archives: जैन मान्यता
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दुरुक्त कैसा होता है ?

दुरुक्त कैसा होता है ?

वाया दुरुत्ताणि दुरुद्धराणि,
वेराणुबंधीणि महब्भयाणि

वाणी से बोले हुए दुष्ट और कठोर वचन जन्मजन्मान्तर के वैर और भय के कारण बन जाते हैं

सूक्त का विलोम शब्द दुरुक्त है| सूक्त अच्छा वचन है – जीवनशुद्धि का प्रेरक है तो दुरुक्त बुरा वचन है – हार्दिक क्षोभ का प्रेरक है – कलह कारक है| Continue reading “दुरुक्त कैसा होता है ?” »

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विरक्त साधक

विरक्त साधक

विरता हु न लग्गंति,
जहा से सुक्कगोलए

मिट्टी के सूखे गोले के समान विरक्त साधक कहीं भी चिपकता नहीं है

मिट्टी का गीला गोला यदि दीवार पर फैंका जाये; तो वह दीवार से चिपक जायेगा; क्यों कि जल से मिट्टी में चिपकने का गुण पैदा हो जाता है| Continue reading “विरक्त साधक” »

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अनुभव से सच्चाई खोजो

अनुभव से सच्चाई खोजो

अप्पणा सच्चमेसेज्जा

स्वयं सत्यान्वेषण करना चाहिये

कहावत है – ‘‘मुण्डे मुण्डे मतिर्भिना’’ अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति की बुद्धि अलग-अलग होती है, इसलिए प्रत्येक के विचार भी अलग-अलग होते हैं| Continue reading “अनुभव से सच्चाई खोजो” »

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श्रुतधर्म एवं चारित्रधर्म

श्रुतधर्म एवं चारित्रधर्म

दुविहे धम्मे-सुयधम्मे चेव चरित्तधम्मे चेव

धर्म के दो रूप हैं – श्रुतधर्म (तत्त्वज्ञान) और चारित्रधर्म (नैतिकता)

जब कोई मॉं यह चिल्लाती है – शिकायत करती है कि बेटा मेरी सुनता ही नहीं है तो क्या वह बेटे के बहरेपन का रोना रोती है? क्या उस पुत्र के कान नहीं है? क्या उसके कानों में सुनने की शक्ति नहीं है? Continue reading “श्रुतधर्म एवं चारित्रधर्म” »

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गुणाकांक्षा

गुणाकांक्षा

कङ्खे गुणे जाव सरीरभेऊ

जब तक शरीरभंग (मृत्यु) न हो तब तक गुणाकांक्षा रहनी चाहिये

जब तक शरीर नष्ट नहीं हो जाता अर्थात् मृत्यु नहीं हो जाती, तब तक हमें निरन्तर गुणों की कामना करते रहना चाहिये|

विषयों की तो सभी प्राणी कामना करते रहते हैं; किंतु विवेकी व्यक्ति गुणों की कामना करते हैं| Continue reading “गुणाकांक्षा” »

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खून का दाग खून से नहीं धुलता

खून का दाग खून से नहीं धुलता

रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव
पक्खालिज्जमाणस्स णत्थि सोही

रक्त-सना वस्त्र रक्त से ही धोया जाये तो वह शुद्ध नहीं होता

आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता| कुत्ता यदि हमें काट खाये; तो इसका उपचार यह नहीं हो सकता कि हम भी कुत्ते को काट खायें| इसी प्रकार गाली का बदला गाली से या मारपीट का बदला मारपीट से नहीं चुकाया जा सकता| Continue reading “खून का दाग खून से नहीं धुलता” »

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धर्माचार्य को वन्दन

धर्माचार्य को वन्दन

जत्थेव धम्मायरियं पासेज्जा,
तत्थेव वंदिज्जा नमंसिज्जा

जहॉं कहीं भी धर्माचार्य दिखाई दें, वहीं उन्हे वन्दना नमस्कार करना चाहिये

आचारकी प्रेरणा देने वाले आचार्य हैं और यह प्रेरणा जिन्हें प्राप्त होती है, उनके द्वारा वे प्रणम्य हैं| Continue reading “धर्माचार्य को वन्दन” »

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ममता का बन्धन

ममता का बन्धन

ममत्तं छिंदए ताए, महानागोव्व कंचुयं

आत्मसाधक ममत्व के बन्धन को तोड़ फेंके; जैसे महानाग कञ्चुक को उतार देता है

सॉंपों के शरीर पर एक झिल्लीदार पतला चमड़ा होता है, जो हर साल गिर जाता है| उसे संस्कृत में कंचुक और हिन्दी में केंचुली कहते हैं| अजगर जिस प्रकार वर्षभर तक एक केंचुली की खोज में रहकर भी उसके प्रति आसक्ति नहीं रखता और ज्यों ही वर्ष समाप्त होता है, वह तत्काल अपनी केंचुली छोड़ कर अन्यत्र चला जाता है| Continue reading “ममता का बन्धन” »

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