आज सुहागन नारी अवधू ! आज सुहागन नारी,
मेरे नाथ आप सुध लीनी कीनी निज अंगचारी.
अवधू ! आज सुहागन नारी
मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर
मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर
मेरे घट ग्यान भानु भयो
भोर चेतन चकवा चेतना चकवी,
भागो विरह को सोर…
मेरे घट ग्यान भानु भयो भोर.
दुलह नारी तुं बडी बावरी
दुलह नारी तुं बडी बावरी
पिया जागे तुं सोवे
पिया चतुर हम निपट अग्यानी
न जानु क्या होवे?
न जानु क्या होवे?
साधो भाई ! समता रंग रमीजे
साधो भाई ! समता रंग रमीजे,
अवधू ! ममता संग न कीजे,
साधो भाई ! समता रंग रमीजे.
संपत्ति नाहि नाहि ममता में रमता राम समेटे,
खाट पाट तजी लाख खटाउ अंत खाख में लेटे.
मेरी तुं मेरी तुं कांही डरेर
मेरी तुं मेरी तुं कांही डरेर, मेर
कहे चेतन समता सुनि आखर, और दैढ दिन जूठ लरेरी.
मेरे प्रान आनन्दघन
मेरे प्रान आनन्दघन तान आनन्दघन ॥ ए आंकणी॥
मात आनन्दघन, तात आनन्दघन
गात आनन्दघन, जात आनन्दघन
तेरी हुं तेरी हुं कहुं री
तेरी हुं तेरी हुं कहुं री,
इन बातमें दगो तुं जाने
तो करवत काशी जाय ग्रहुं री.
क्यारे मुने मिलश्ये
क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
संत सनेही सुरीजन पाखे राखे न धीरज देही
क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?