मुखरता सत्यवचन का विघाता करती है
मुखरता से बचें
चार श्रावक
पडागसमाणे, ठाणुसमाणे, खरकंटगसमाणे
श्रमणोपासक चार प्रकार के होते हैं – दर्पण के समान (स्वच्छ हृदय वाले), पताका के समान (चञ्चल हृदय वाले), स्थाणु के समान (दुराग्रही) और तीक्ष्ण कण्टक के समान (कटुभाषी)
इच्छानिरोध
इच्छाओं को रोकने से ही मोक्ष प्राप्त होता है
सांभळजो तुमे अद्भुत वातो
भाव : ३ वर्षना बालमुनि वज्रस्वामी ने एमना जीवन नी अद्भुत कहानी
सांभळजो तुमे अद्भुत वातो,
वयर कुंवर मुनिवरनी रे;
षट् महिनाना गुरु झोळीमां,
आवे केलि करंता रे,
त्रण वरसना साधवी मुखथी,
अंग अगीयार भणंता रे.
आत्महित का अवसर
आत्महित का अवसर मुश्किल से मिलता है
The Gods – Their Cars – Their Bells their Family – Part 1
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आयु घट रही है|
एक ही झपाटे में जैसे बाज बटेर को मार डालता है, वैसे ही आयु क्षीण होने पर मृत्यु भी जीवन को हर लेती है