जो पराधीन होने से भोग नहीं कर पाते, उन्हें त्यागी नहीं कहा जा सकता
त्यागी कौन नहीं ?
त्रास मत दो
किसी भी अन्य जीव को त्रास मत दो
जीव विचार – गाथा 8
Sorry, this article is only available in English. Please, check back soon. Alternatively you can subscribe at the bottom of the page to recieve updates whenever we add a hindi version of this article.
मैं अन्य हूँ
कामभोग अन्य हैं, मैं अन्य हूँ
मैं अकेला हूँ
न वाऽहमवि कस्स वि
मैं अकेला हूँ – मेरा कोई नहीं है और मैं भी किसी का नहीं हूँ
भक्तामर स्तोत्र – श्लोक 6
अल्पश्रुतं श्रुतवतां परिहासधाम
त्वद्भक्तिरेव मुखरीकुरुते बलान्माम् |
यत्कोकिलः किल मधौ मधुरं विरौति
तच्चारु – चूत – कलिका – निकरैकहेतुः ||5||
प्राणवध कैसा है?
निग्धिणो, निसंसो, महब्भभओ
प्राणवध चण्ड है, रौद्र है, क्षुद्र है, अनार्य है, करुणारहित है, क्रूर है, भयंकर है
मूर्च्छा ही परिग्रह है
मूर्च्छा को ही परिग्रह कहा गया है
64 कला
1. ध्यान, प्राणायाम, आसन आदि की विधि
2. हाथी, घोड़ा, रथ आदि चलाना
3. मिट्टी और कांच के बर्तनों को साफ रखना
4. लकड़ी के सामान पर रंग-रोगन सफाई करना
5. धातु के बर्तनों को साफ करना और उन पर पालिश करना
6. चित्र बनाना
7. तालाब, बावड़ी, कमान आदि बनाना Continue reading “64 कला” »
जियो और जीने दो
हमे इस जीव हिंसा के पाप से बचना होगा| Continue reading “जियो और जीने दो” »