क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
संत सनेही सुरीजन पाखे राखे न धीरज देही
क्यारे मुने मिलश्ये माहरो संत सनेही?
क्यारे मुने मिलश्ये
…क्यारे.१
मूलडो थोडो भाई व्याजडो घणोरे
रातडी रमीने अहियांथी आविया ॥ए देशी॥
मूलडो थोडो भाई व्याजडो घणोरे,
केम करी दीधोरे जाय?
तलपद पूंजी में आपी सघलीरे,
तोहे व्याज पूरुं नवि थाय
…मूलडो.१
भवतृष्णा का त्याग
भवतण्हा लया वुत्ता, भीमा भीमफलोदया
संसार की तृष्णा भयंकर फल देनेवाली एक भयंकर लता है
कृत – अकृत
कडं कडेत्ति भासेज्जा, अकडं नो कडेत्ति य
किये हुए को कृत और न किये हुए को अकृत कहना चाहिये
कल्याणकारिणी
अहिंसा तसथावरसव्वभूयखेमंकरी
अहिंसा त्रस एवं स्थावर समस्त भूतों (प्राणियों) का कल्याण करनेवाली है
वाणी का आदर्श
सच्चं च हियं च मियं च गाहणं च
सत्य, हित, मित और ग्राह्य वचन बोलें
मेरा सिद्धान्त
एगो मे सासओ अप्पा नाणदंसणसंजुओ
दुःख पाप से मिलता है| Continue reading “मेरा सिद्धान्त” »
अवधू! क्या मागुं गुनहीना
अवधू! क्या मागुं गुनहीना?
वे गुनगनन प्रवीना,
अवधू! क्या मागुं गुनहीना?
गाय न जानुं बजाय न जानुं न जानुं सुरभेवा,
रीझ न जानुं रीझाय न जानुं न जानुं पदसेवा.
…क्या.१
अनिदानता
सव्वत्थ भगवया अनियाणया पसत्था
भगवान ने सर्वत्र अनिदानता (निष्कामता) की प्रशंसा की है