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सत्य की आज्ञा

सत्य की आज्ञा

सच्चस्स आणाए उवट्ठिए मेहावी मारं तरइ

जो मेधावी सत्य की आज्ञा में उपस्थित रहता है, वह मृत्यु के प्रवाह को तैर जाता है

जीवन में पद-पद पर अनुशासन की आवश्यकता का अनुभव होता है| विनय या अनुशासन से रहित अविनीत एवं स्वच्छन्द व्यक्ति अपने और दूसरों के कष्ट ही बढ़ाता है| ऐसी हालत में स्वपरकल्याण की तो उससे आशा ही कैसे की जा सकती है? Continue reading “सत्य की आज्ञा” »

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झूठ बोलने लगता है

झूठ बोलने लगता है

लोभपत्ते लोभी समावइज्जा मोसं वयणाए

लोभ का प्रसंग आने पर लोभी झूठ बोलने लगता है

झूठ बोलने के अनेक कारण हैं – क्रोध, मान, माया आदि; परन्तु लोभ सबसे बड़ा कारण है| जो लोभी व्यक्ति है, वह साधारण – से लाभ के लिए भी बात-बात पर झूठ बोलने को तैयार हो जाता है| Continue reading “झूठ बोलने लगता है” »

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