मज्झे तस्स कुओ सिया ?
जिसके आगे-पीछे न हो, उसके बीच में भी कैसे होगा?
जिसके आगे-पीछे न हो, उसके बीच में भी कैसे होगा?
हे पुरुष ! तू स्वयं ही अपना मित्र है| अन्य बाहर के मित्रों की चाह क्यों रखता है ?
जो सुप्त हैं, वे अमुनि है मुनि तो सदा जागते रहते हैं
जो अति मात्रा में अ-जल ग्रहण नहीं करता, वही निर्ग्रन्थ है
जो अनन्यदर्शी होता है, वह अनन्याराम होता है और जो अनन्याराम होता है, वह अनन्यदर्शी होता है
जो एक को जानता है, वह सबको जानता है और जो सबको जानता है, वह एक को जानता है
जिसे आत्मस्वरूप का सम्यग्ज्ञान हो जाता है, वह अनात्मतत्त्वों में रमण नहीं करता; क्यों कि वह आत्मभि पदार्थों के स्वरूप को – उनकी क्षणिकताको भी जान लेता है| Continue reading “एकज्ञ-सर्वज्ञ” »
आयु बीत रही है और युवावस्था भी
वीर्य को छिपाना नहीं चाहिये
जो बुद्धिमान हैं, उन्हें अपनी बुद्धि का उपयोग दूसरों के झगड़े मिटाने में करना चाहिये| Continue reading “वीर्यको न छिपायें” »
आन्तरिक विकारों से ही युद्ध कर, बाह्य युद्ध से तुझे क्या लाभ?
मृत्यु किसी भी समय आ सकती है