हँसते हुए नहीं बोलना चाहिये
हँसते हुए न बोलें
मोहग्रस्तता
नो हव्वाए नो पाराए
मोहग्रस्त व्यक्ति न इस पार रहते हैं, न उस पार
उच्च नीच गोत्र
नो हीणे नो इहरित्ते
यह जीव अनेक बार उच्च गोत्रमें और अनेक बार नीच गोत्र में जन्म ले चुका है; परन्तु इससे न कोई हीन होता है, न महान|
भक्तामर स्तोत्र – श्लोक 5
सोहं तथापि तव भक्तिवशान्मुनीश !
कर्तुं स्तवं विगतशक्तिरपि प्रवृत्तः |
प्रीत्यात्मवीर्यमविचार्य मृगो मृगेन्द्रं
नाभ्येति किं निजशिशोः परिपालनार्थम् ? ||5||
मोक्ष और निर्वाण
नत्थि अमोक्खस्स निव्वाणं
गुणोंके अभाव में मोक्ष नहीं होता और मोक्षके अभाव में निर्वाण नहीं होता
बहुत न बोलें
बहुत अधिक न बोले
विषलिप्त कॉंटा
विसलित्तं व कंटगं नच्चा
विषलिप्त कॉंटे की तरह जानकर ब्रह्मचारी स्त्री का त्याग करे
वृद्धावस्था
ण रतीए, ण विभूसाए
वृद्ध होने पर व्यक्ति न हास-परिहास के योग्य रहता है, न क्रीड़ा के, न रति के और न शृंगार के ही
जीव विचार – गाथा 6
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भोगों का त्याग
दुमं जहा खीणफलं व पक्खी
जैसे क्षीणफल वृक्ष को पक्षी छोड़ देते हैं, वैसे भोग क्षीणपुण्य पुरुष को छोड देते हैं