श्री सुपार्श्वनाथ जिन स्तवन
वीतराग.. ..! तोरा पाय शरणं
दीन दयाल सुपास जिनेसर,
जोणि संकट दु:ख हरणं.
…१
काशी जनम माता-पृथ्वी-सुत,
तीन-भुवन-तिलकाभरणं.
….२
पर उपकारी तुं परमेश्वर,
भव-समुद्र-तारण तरणं.
…३
अष्ट-करम-मल-पंक-पयोधर,
सेवक-सुख-संपत्ति-करणं.
…४
सुर-नर-किन्नर कोडी-निसेवित,
समयसुंदर प्रणमति चरणं.
…५
यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
परमप्रभु की अति विनयभाव से भक्ति-आराधना गुरूभगवंत श्री समयसुन्दर जी महाराज का अमूल्य प्रसाद है. नमन-वंदन .