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निगोद को पहचानें

निगोद को पहचानें
(चार्तुास) वर्षा ऋतु में घर के कम्पाऊंड में, पुरानी दीवारों पर अथवा मकान की छत (अगासी) पर हरी, काली, कत्थई आदि रंगों की काई (सेवाल-लील) जम जाती है| उसी को निगोद कहते हैं| Continue reading “निगोद को पहचानें” »

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पृथ्वीकाय की जयणा

पृथ्वीकाय की जयणा
मिट्टी, पत्थर, खनिज, धातुयें, रत्न इ. पृथ्वीकाय के शरीर हैं| गम- नागमन से, वाहन-व्यवहार से, अन्य शस्त्र संस्कार इत्यादि से पृथ्वीकाय अचित्त बनते हैं| जीवन व्यवहार में निरर्थक सचित्त पृथ्वीकाय की विराधना (हिंसा) न हो जाये उसकी सावधानी रखनी चाहिए| Continue reading “पृथ्वीकाय की जयणा” »

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फफूंदी/फूलन/फूग की रक्षा करो

फफूंदी/फूलन/फूग की रक्षा करो
1. खाद्य पदार्थों को चुस्त (टाईट) ढक्कन वाले साधन में बंद करके रखिए|

2. फुग उत्पन्न हो ऐसे पदार्थो को नमी के वातावरण में मत रखिए| डिब्बे में से कोई वस्तु लेते समय हाथ जरा भी गीले न हों, इसका ध्यान रखिए|
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जयणा की जडीबूटियॉं

जयणा की जडीबूटियॉं
1) मोर के पंख :- मोर के पंख को रखने से या हिलाने से सॉंप तथा छिपकली भाग जाती है|

2) काली मिर्च :- केसर की डब्बी में काली मिर्च के दाने डालने से नमी के कारण उसमें होनेवाली जीवोत्पत्ति रुक जाती हैं|

3) डामर की गोली :- कपडें, पुस्तकों की बैग, अलमारी वगैरह में डामर की गोली रखने से जीवों की उत्पत्ति नहीं होती|

4) पारा :- अनाज में पारे की गोली डालने से अनाज सड़ता नहीं तथा जीवोत्पत्ति होती नहीं| Continue reading “जयणा की जडीबूटियॉं” »

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